शिवसेना के बाद एनसीपी टूटी, अब कांग्रेस पर संकट

पहले शिवसेना के 40 विधायक टूटे, उसके ठीक एक साल बाद एनसीपी के. अब कांग्रेस के भी टूटने की अटकलें जोर पकड़ ली है. ऐसे में सवाल है कि हॉर्स ट्रेडिंग पॉलिटिक्स का अड्डा क्यों बन गया है महाराष्ट्र?
आया राम, गया राम का नारा 1960 के दशक में हरियाणा की राजनीति में खूब प्रचलित हुई थी. एक दिन में तीन-तीन बार विधायक पाला बदल लेते थे. 60 साल बाद वही किस्सा महाराष्ट्र में दोहराया जा रहा है. रातों-रात नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं.
महाराष्ट्र में हिंदुत्व की विचारधारा और मराठी मानुस के नाम पर पॉलिटिक्स करने वाले नेताओं की राजनीति सत्ता केंद्रित हो गई है. पिछले 4 साल में सत्ता के लिए 4 बार पाला बदल का खेल हुआ है. इस खेल में 3 मुख्यमंत्री बदल गए. हॉर्स ट्रेडिंग के सियासी नाटक में महाराष्ट्र की 2 क्षेत्रीय पार्टियां भी टूट गई.
मराठी प्रयोगशाला की हालिया राजनीतिक क्रियाओं ने शरद पवार जैसे धुरंधर नेताओं को चित कर दिया, जबकि बालासाहेब की जमी-जमाई पार्टी उनके बेटे के हाथ से फिसल गई. एनसीपी और शिवसेना में बगावत के बाद अब कांग्रेस में भी टूट की अटकलें लग रही है.
एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री गुलाब रघुनाथ पाटिल ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा है कि 17 कांग्रेस विधायक जल्द ही हमारे साथ आएंगे. 2022 में शिंदे के विश्वासमत प्रस्ताव के वक्त कांग्रेस के करीब एक दर्जन विधायक गायब हो गए थे.
एमएलसी चुनाव में भी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग किया था, जिसके बाद मोहन प्रकाश को पर्यवेक्षक बनाकर कांग्रेस हाईकमान ने मुंबई भेजा था. प्रकाश की रिपोर्ट पर ही वर्षा गायकवाड़ को मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है.
राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस अभी महाराष्ट्र में कम से कम 4 गुटों में बंट चुकी है. इनमें बालासाहेब थोराट गुट, अशोक चव्हाण गुट, नाना पटोले गुट और पृथ्वीराज चव्हाण गुट शामिल है. बीजेपी की नजर अशोक चव्हाण और नाना पटोले गुट पर है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस अगर टूटती है, तो राज्य की राजनीति में एक पंचवर्षीय में सभी विपक्षी पार्टियों के टूटने का इतिहास बन जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र कैसे और क्यों हॉर्स ट्रेडिंग का अड्डा बन गया है?