वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक में भारत 34वें स्थान पर पहुंचा
रियल एस्टेट बाजार से जुड़े नियामकीय सुधार, बाजार से जुड़े बेहतर आंकड़े और हरित पहलों के चलते देश की रैंकिंग में एक अंक का सुधार हुआ है।वैश्विक रियल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक में भारत का स्थान 34वां रहा है।वैश्विक संपत्ति सलाहकार कंपनी जेएलएल इस द्वि-वार्षिक सर्वेक्षण को करती है। वर्ष 2018 में भारत की रैंकिंग 35, वर्ष 2016 में 36 और 2014 में 39 थी।
देश के रियल एस्टेट बाजार को वैश्विक स्तर पर ‘आंशिक-पारदर्शी श्रेणी में रखा गया है। सूचकांक में कुल 99 देशों की रैंकिंग की गयी है। इसमें शीर्ष पर ब्रिटेन है। इसके बाद क्रमश: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और कनाडा देश शीर्ष पांच में शामिल है। भारत के पड़ोसी देश चीन की इस सूचकांक में रैंकिंग 32, श्रीलंका की 65 और पाकिस्तान की 73वीं है। शीर्ष 10 देशों को उच्च पारदर्शी, 11 से 33 को पारदर्शी श्रेणी में रखा गया है।
जेएलएल के सीईओ और कंट्री हेड (इंडिया) रमेश नायर ने कहा,“भारत ने पिछले कुछ वर्षों में Global Transparency Index में लगातार सुधार देखा है। वास्तव में इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम के साथ हम उन देशों में से एक हैं, जिन्होंने सकारात्मक सरकारी समर्थन और पारदर्शिता के उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र के कारण अधिकतम सुधार देखा है। विशेष रूप से भारत में पारदर्शिता के लिए राष्ट्रीय आरईआईटी ढांचे का एक बड़ा योगदान रहा है । ”
रंग ला रहे सरकार के प्रयास
बता दें सरकार द्वारा प्रमुख सुधारों के प्रयास और भारतीय अचल संपत्ति में लगातार सुधार के प्रभाव ने वैश्विक निवेशकों को उत्साहित किया है। संस्थागत निवेश ने पिछले तीन वर्षों में सालाना 5 बिलियन डॉलर का एक नया मानदंड बनाया। बता दें केंद्र सरकार का 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ प्रदान करने का उद्देश्य नियामक और राजकोषीय प्रोत्साहनों के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है और साथ ही किफायती आवास में निवेश के लिए संप्रभु धन निधियों को कर लाभ प्रदान कर रहा है। रियलटी क्षेत्र में रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट 2016 (रेरा), जीएसटी, बेनामी लेनदेन निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2016, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों ने अधिक पारदर्शिता लाई है। कुछ साल पहले काफी हद तक यह अनियमित क्षेत्र था।
ऐसे तैयार किया जाता है सूचकांक
सूचकांक, डेटा उपलब्धता, इसकी प्रामाणिकता और सटीकता, सार्वजनिक एजेंसियों के साथ-साथ रियल्टी क्षेत्र के हितधारकों, लेनदेन प्रक्रियाओं, नियामक और कानूनी माहौल सहित संबंधित लागत एवं विभिन्न कारकों का मूल्यांकन करते हुए पारदर्शिता का आकलन किया जाता है।