anupamsavera.com

Top Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • मध्यप्रदेश
  • व्यवसाय
  • मना॓रंजन
  • खेल
  • सम्पर्क

Main Menu

  • मुख्यपृष्ठ
  • मध्यप्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • मना॓रंजन
  • व्यवसाय
  • सम्पर्क
  • होम
  • देश
  • विदेश
  • मध्यप्रदेश
  • व्यवसाय
  • मना॓रंजन
  • खेल
  • सम्पर्क

anupamsavera.com

anupamsavera.com

  • मुख्यपृष्ठ
  • मध्यप्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • मना॓रंजन
  • व्यवसाय
  • सम्पर्क
विदेश
Home›विदेश›चांद पर इंसान के कदम रखने के 54 साल:नासा ने खर्च किए 2 लाख करोड़; अमेरिकी नेवी अफसर ने ही मिशन पर सवाल उठाए

चांद पर इंसान के कदम रखने के 54 साल:नासा ने खर्च किए 2 लाख करोड़; अमेरिकी नेवी अफसर ने ही मिशन पर सवाल उठाए

By anupamsavera.com
July 20, 2023
79
0
Share:

20 जुलाई 1969, ये वो तारीख है जब अमेरिक की स्पेस एजेंसी नासा ने इतिहास रचा था। अपोलो मून मिशन के तहत पहली बार किसी इंसान ने चांद पर कदम रखा था। नील आर्मस्ट्रॉन्ग वो पहले एस्ट्रोनॉट थे जिन्होंने चांद पर पहुंचने के साथ ही इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा दिया। उनके बाद उनके साथी बज एल्ड्रिन चांद पर उतरे थे।

इस स्पेस मिशन में तब 25 अरब डॉलर, यानी आज के मुताबिक करीब 2 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए थे। अमेरिका में 29 जुलाई 1958 को नासा का गठन हुआ था और इसके 11 साल बाद ही स्पेस एजेंसी ने कीर्तिमान रच दिया। इसी के साथ स्पेस वॉर में अमेरिका ने दूसरे सभी देशों को पीछे छोड़ दिया। अपोलो-11 मिशन को मिलाकर अब तक कुल 12 बार लोग चांद पर पहुंच चुके हैं।

हालांकि, कई थ्योरीज ऐसी भी हैं, जिनके मुताबिक, नासा का मशहूर अपोलो मिशन एक बहुत बड़ा झूठ था। रूस की रोसकोमोज स्पेस एजेंसी के पूर्व चीफ दिमित्री रोगोजिन ने इसी साल मई में कहा था कि अब तक इस बात के पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं हैं कि अमेरिका कभी चांद पर पहुंचा भी था।

तस्वीर तीन एस्ट्रोनॉट्स नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस की है, जो नासा के मून मिशन पर गए थे।
तस्वीर तीन एस्ट्रोनॉट्स नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस की है, जो नासा के मून मिशन पर गए थे।
नासा के अपोलो स्पेस मिशन के 54 साल पूरे होने पर जानिए मून लैंडिंग की पूरी कहानी और क्या है इसको झूठा साबित करने वाले दावे…

दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका-सोवियत संघ में शुरू हुआ स्पेस वॉर
1950 के बाद से ही दुनिया की दो ताकतवर शक्तियों अमेरिका और सोवियत संघ के बीच स्पेस वॉर छिड़ चुकी थी। सोवियत संघ ने लूना मिशन के जरिए अंतरिक्ष में अपनी दखलअंदाजी बढ़ानी शुरू की। जनवरी 1966 में लूना-9 ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड किया। ऐसा करने वाला वो पहला स्पेसक्राफ्ट था।

उधर, अमेरिका भी अब तक स्पेस में कई स्पेसक्राफ्ट भेज चुका था। 1962 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी घोषणा कर चुके थे कि 60 के दशक के अंत तक अमेरिका चांद पर इंसान को भेजेगा। कैनेडी की इस घोषणा के बाद नासा मिशन की तैयारियों में लग गया। एक कठिन ट्रेनिंग के बाद नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस को इस मिशन के लिए चुना गया।

कैनेडी स्पेस सेंटर की आग में 3 एस्ट्रोनॉट्स की मौत
5 साल बाद टेस्टिंग के लिए 1966 में नासा ने अनमैन्ड स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजा, लेकिन इसके अगले साल ही कैनेडी स्पेस सेंटर में भीषण आग लग गई और 3 एस्ट्रोनॉट की मौत हो गई। इसके बाद भी नासा अपने मिशन में जुटा रहा।

ये तस्वीर 16 जुलाई 1969 की है, जब अपोलो-11 स्पेसक्राफ्ट को मिशन के लिए लॉन्च किया गया था।
ये तस्वीर 16 जुलाई 1969 की है, जब अपोलो-11 स्पेसक्राफ्ट को मिशन के लिए लॉन्च किया गया था।
16 जुलाई को शुरू हुआ अपोलो-11 मिशन
आखिरकार 16 जुलाई 1969 में अपोलो-11 स्पेसक्राफ्ट में नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस को कैनेडी स्पेस सेंटर से चांद के सफर पर भेजा गया। अमेरिकी समयानुसार सुबह 9 बजकर 32 मिनट पर अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से अपोलो-11 ने उड़ान भरी। नासा के मुताबिक, करीब 65 करोड़ लोगों ने इस नजारे को टीवी पर देखा।

76 घंटे में स्पेसक्राफ्ट 2 लाख 40 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर चुका था। 19 जुलाई को स्पेसक्राफ्ट चांद के ऑर्बिट में पहुंच गया। अगले दिन नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन ईगल मॉड्यूल के जरिए स्पेसक्राफ्ट से अलग हो गए और चांद की सतह पर जाने की तैयारी करने लगे। उनके मॉड्यूल में केवल 30 सेकेंड का ईंधन ही बचा था और अभी भी दोनों चांद की सतह से दूर थे।

चांद की सतह पर पड़ा इंसान का पहला कदम
दुनियाभर के लोगों की धड़कनें बढ़ने लगीं थीं। 20 जुलाई को शाम 4 बजकर 17 मिनट पर स्पेस सेंटर में वैज्ञानिकों को नील आर्मस्ट्रांग की तरफ से एक मैसेज मिला। इस मैसेज में आर्मस्ट्रांग ने कहा, ‘हम लैंड कर चुके हैं।’ इसी के साथ पूरा अमेरिका खुशी से झूम उठा। चांद की सतह पर कदम रखते हुए आर्मस्ट्रांग ने कहा, ‘एक इंसान के लिए यह एक छोटा कदम है, लेकिन सम्पूर्ण मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है।’

इसके कुछ देर बाद एल्ड्रिन भी चांद की सतह पर उतरे। दोनों वहां करीब ढाई घंटे रहे। उन्होंने चांद की सतह पर अमेरिका का झंडा भी लगाया। इसके बाद कुछ फोटो खींचे और रिसर्च के लिए सतह से मिट्टी इकट्ठी की।

तस्वीर चांद पर पड़े इंसान के पहले कदम के छाप की है। 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर उतरने वाले पहले इंसान थे।
तस्वीर चांद पर पड़े इंसान के पहले कदम के छाप की है। 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर उतरने वाले पहले इंसान थे।
धरती पर लौटना बड़ा टास्क
अब अपोलो-11 के लिए अगला टास्क था वापस धरती पर आना। स्पेस कैप्सूल को बहुत ही सटीक एंगल पर पृथ्वी के एटमॉस्फियर में दाखिल होना था। जब कोई चीज 24,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से वायुमंडल से टकराती है, तो इससे एक भयानक आग का गोला बनता है। ऐसे में चैंलेंज ये था कि अगर उनकी स्पीड ज्यादा होगी, तो स्पेसक्राफ्ट तेजी से हीट-अप होकर जल जाएगा। वहीं अगर उनकी स्पीड बहुत कम हुई तो स्पेसक्राफ्ट वायुमंडल से बाहर निकल जाएगा।

तीन मिनट के कम्युनिकेशन ब्लैकआउट के बाद, आर्मस्ट्रॉन्ग ने एक सफल एन्ट्री का सिग्नल दिया। हिस्ट्री डॉट कॉम के मुताबिक अपोलो 11 मिशन लॉन्च के ठीक आठ दिन, तीन घंटे, 18 मिनट और 35 सेकंड के बाद प्रशांत महासागर में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग के साथ खत्म हुआ था।

तस्वीर उस वक्त की है जब सभी एस्ट्रोनॉट्स चांद से वापस धरती पर लौटे और पैसिफिक ओशन में लैंड हुए।
तस्वीर उस वक्त की है जब सभी एस्ट्रोनॉट्स चांद से वापस धरती पर लौटे और पैसिफिक ओशन में लैंड हुए।
ये तो हो गई अपोलो मिशन की बात… लेकिन क्या ऐसा सच में हुआ था? 2019 के एक सर्वे के मुताबिक अमेरिका में 6% लोग अब भी ऐसे हैं जो पूरी तरह से इस बात पर यकीन करते हैं कि मून लैंडिंग को लेकर अमेरिका के सारे दावे झूठे हैं। वहीं इसके अलावा भी करीब 5% लोग कुछ हद तक इस बात पर यकीन करते हैं।

मून मिशन पूरा होने के अगले साल से ही इसे झुठलाने का सिलसिला शुरू
वॉइस ऑफ अमेरिका के मुताबिक, चांद पर इंसान के कदम रखने के 1 साल बाद ही इन बातों को भी अफवाह मिलने लगी थी कि नासा का अपोलो मून मिशन झूठ था। 1970 में हुए सर्वे के मुताबिक, उस वक्त करीब 30% अमेरिकी ऐसे थे जो अपोलो-11 की पूरी कहानी को झूठा मानते थे।

इसके बाद 1976 में अमेरिकी नेवी के पूर्व अफसर और नासा के मून मिशन का हिस्सा रहे बिल केसिंग ने एक किताब पब्लिश की, जिसका नाम था ‘वी नेवर वेंट टु द मून- अमेरिकाज थर्टी बिलियन डॉलर स्विंडल।’

अपनी इस किताब में केसिंग ने उन तमाम थ्योरी का जिक्र किया था, जिससे अमेरिका का मून मिशन झूठा साबित होता है। हालांकि, किताब सामने आने के बाद अमेरिका सहित कई बड़े देशों के साइंटिस्ट्स ने इन थ्योरीज को खारिज करते हुए इनकी काउंटर-थ्योरी भी बताईं। केसिंग उस कंपनी में बतौर टेक्निकल राइटर काम करते थे, जिसने नासा के अपोलो मिशन के रॉकेट सैटर्न वी के लिए इंजन बनाया था।

Previous Article

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सिवनी में जन-दर्शन ...

Next Article

रिलायंस का फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस आज अलग ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • विदेश

    काबुल हवाई अड्डे पर हिंसा के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तालिबान

    August 24, 2021
    By anupamsavera.com
  • विदेश

    राजनयिकों का किया निष्कासन,रूस के खिलाफ एक साथ आए कई देश

    March 27, 2018
    By anupamsavera.com
  • विदेश

    PAK में नए आर्मी चीफ के नाम का ऐलान जल्द:PM के पास समरी पहुंची; 26 को इमरान सबसे बड़ी रैली ...

    November 23, 2022
    By anupamsavera.com
  • विदेश

    हम ताइवान का समर्थन करते हैं, यूरोपीय संघ

    November 8, 2021
    By anupamsavera.com
  • विदेश

    कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए भारत को आगे बढ़ना चाहिए: इमरान खान

    October 23, 2018
    By anupamsavera.com
  • विदेश

    भारत ने मांगी चीन से मदद

    April 17, 2018
    By anupamsavera.com

  • देश

    राहुल गांधी बोले- भाजपा, आरएसएस की सोच आरक्षण विरोधी, SC/ST का हक छिनने नहीं देंगे

  • व्यवसाय

    सार्वजनिक पेशकश के जरिए वित्त वर्ष 2020-21 में जुटाया गया दोगुना धन, वित्त मंत्रालय ने दी जानकारी

  • देश

    आईआरसीटीसी – राम भक्तों के लिए खुशखबरी .. श्री रामायण यात्रा के लिए विशेष ट्रेनें कभी नहीं



      Your browser does not support the video tag.
  • Recent

  • Popular

  • दिल्ली की उड़ानों के लिए किराए में न हो असामान्य वृद्धि, सरकार ने एयरलाइन कंपनियों ...

    By anupamsavera.com
    June 29, 2024
  • रूस ने अमेरिका के साथ तोड़ा करीब 36 साल पुराना समझौता, अब 5500 किमी मार ...

    By anupamsavera.com
    June 29, 2024
  • SA vs IND: साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों की खैर नहीं, मुंबई के 2 बल्‍लेबाज खोल देंगे ...

    By anupamsavera.com
    June 29, 2024
  • Khatron Ke Khiladi 14: खतरनाक स्टंट करते हुए कृष्णा श्रॉफ का हुआ बुरा हाल, डर ...

    By anupamsavera.com
    June 29, 2024
  • ‘पति को कहो, मेरे सामने बैठकर पीयो शराब….’, मंत्री नारायण कुशवाह की महिलाओं को अजीब ...

    By anupamsavera.com
    June 29, 2024
  • Hello world!

    By anupamsavera.com
    December 30, 2017
  • दिल्ली की उड़ानों के लिए किराए में न हो असामान्य वृद्धि, सरकार ने एयरलाइन कंपनियों ...

    By anupamsavera.com
    June 29, 2024
  • ‘ओखी’ ने तमिलनाडु में मचाई तबाही, 8 की मौत, स्कूल-कॉलेज बंद

    By anupamsavera.com
    December 1, 2017
  • दिल्ली के डिप्टी CM से आप कार्यकर्ताओं की बदसलूकी, किसी ने कंधा तो किसी ने ...

    By anupamsavera.com
    December 1, 2017
  • थोक मार्केट में सस्ती हुई प्याज, जल्द रिटेल में भी घटेंगे दाम!

    By anupamsavera.com
    December 1, 2017

Editor: Anupma Singh
Email id: AnupamSavera.com@gmail.com
Mobile no: 8878099780
Address: Puskar 218, Aakriti city , near 11 mile hoshangabad road, 462047 bhopal MP Dist.-
BHOPAL-462010